Saloni~ यादें ( कॉलेज फेस्ट वाली शाम ) 


च्छा ये बताओ , कहीं तुम्हारी कहानी भी मीराबाई की ज़िन्दगी की तरह डार्क तो नहीं होंगी ~ सलोनी ने दूर देखते हुए पूछा

अब ये तो पढ़ने वाले के नज़रिए पे निर्भर करता है कि , वो मेरी कहानी में क्या ढूँढता है ~ अक्षत ने बग़ैर निगाहें मिलाए अपनी बात कही

मैं तुम्हारे नज़रिए की बात कर रही थी , अब अगर तुम कहानी में प्रेम लिखोगे तो लोग वैराग्य कहाँ से समझ लेंगे ~ सलोनी

ऐसा नहीं है सलोनी , अब देखो न चाहे मीराबाई का प्रेम हो या इंदुमती का कालिदास के लिए , इस समाज को उनका प्रेम तो वैराग्य ही लगता है न ~ अक्षत ने दूर कहीं बिखरे पड़े पत्तों की तरफ देखते हुए बोला

हम्ममम्म…पर कृष्ण और कालिदास को तो प्रेम लगा था न अक्षत ~ इस दफ़े सलोनी ने उन शाखों पर नज़रें घुमा ली जहां से वो पत्ते अलग हुए थे ।

तुम पूछना क्या चाहती हो ? ~ अक्षत

यही की तुम अपनी कहानी किसलिए कह रहे हो ~ सलोनी

अपने किरदारों के लिए सलोनी ~ अक्षत ने बड़े तसल्ली से जवाब दिया

और तुम्हारे किरदार कौन हैं ? ~ सलोनी

अब ये तो कहानी के हालात तय करेंगे कि कौन क़िरदार बन गए , किनको किरदार होना बाकी रह गया । ~ अक्षत

#yqbaba#yqdidi#yqbhaijaan#yqtale# Saloni~ यादें # किरदार# प्रेम #

Follow my writings on https://www.yourquote.in/safar03raman #yourquote

Saloni ~ यादें 

ज़िन्दगी में हमेशा फ़िकर कभी भी हार या जीत की नहीं रहती ,

बल्कि डर हमेशा उस हार या जीत के बाद पसरे सन्नाटे से लगता है जहां हमारी कश्मकश लगभग खत्म हो चुकी होती है ।
पिछले दो धण्टे के लंबे इंतजार के बाद उन्हें उस कॉलेज फेस्ट वाली शाम में एक दूसरे से रु-बरु होने का मौका मिला , जो अबतक व्हाट्सअप के ज़रिए एक दूसरे से बातचीत किये जा रहे थे , मिलने के बाद वो बातचीत का सिलसिला अब खत्म हो चला था ।

अच्छा तुम कह रहे थे इक कहानी लिखने को न , क्या हुआ ~ सलोनी ने काफी देर से फैली खामोशी का सिलसिला तोड़ते हुए पूछा

हां अभी तक तो सोच ही रहा , I think I’m not mature enough to write the story ~ अक्षत

कहानी कहने की कोई उम्र थोड़े ही होती है , वो तो बस कह दी जाती है
~ सलोनी ने अक्षत की तरफ देखते हुए बोला

ह्म्म्म…कहानी का तो पता नही पर किरदार सोच लिया है ~ अक्षत ने उम्मीद भरे लहज़े से कहा

अच्छा जी चलो कहानी न सही क़िरदार ही बता दो ~ सलोनी

मीरा… एक क़िरदार तो तय है ~ अक्षत

Wow …मीरा ! जानते हो न बड़ी रिबेलियस थी , लगता नहीं कि तुम्हारे क़िरदार इतने रिबेलियस होंगे ~ सलोनी

काफी कॉन्ट्रास्टिंग है ना , ऐसा ही होता है जो जैसा होता है वो वैसा दिखता कहाँ है ~ अक्षत

तुम किसकी बात कर रहे हो ..मीरा की न .~ सलोनी ने थोड़ा कॉन्शियस होते हुए पूछा

नहीं अपने क़िरदार की , बड़ा फ़र्क है अपने क़िरदार को मीरा बनाने में ~ अक्षत

तुम्हारे क़िरदार का तो पता नहीं , पर मीरा तो कॉफी रेबलियस थी जैसा कि सब जानते हैं ~ सलोनी

और वैसे तुमको मीरा में क्या दिखता है ~ सलोनी ने अपनी बात पूरी करते हुए पूछा

प्रेम ….~ इस दफ़े अक्षत की निगाहें , उसके दरमियां जाकर थम चुकी थी

सिर्फ प्रेम और अपने क़िरदार में क्या ढूँढ रहे हो ….. ~ सलोनी

हम्ममम्म , वही जिसे तुम कहते कहते रह गयी …शायद उसी को ढूँढ रहा ~ अक्षत

#yqbaba#yqdidi#yqbhaijaan#yqtale# Saloni~यादें #

Follow my writings on https://www.yourquote.in/safar03raman #yourquote

अनोखे ~ रिश्ते 


उस रोज़ दोपहर अब ढलने लगी थी धीरे-धीरे ठीक वैसे ही जैसे शाम अपनी मुंडेर पर चढ़ने को आतुर दिख रहा था ।

यही कोई दिन को 3 बजने को थे , अक्षत अबतक अपनी जगह कि तलाश में उस सुनसान कोने से लेकर उस ओपन हाउस वाले लॉन की तरह दिखने वाले कैफ़े के स्टाल , उसके सामने पड़ी बेंचो और उस बबुल के पेड़ की नीचे पड़ी पटिया से होता हुआ न जाने कहाँ -कहाँ हो आया पर हर जगह आस पास बैठे लोगों की चिट-चैट से परेशां हो उठ चल देता ।
फ़िर उसने ये तय किया कि वो अब पेड़ के नीचे पटिये वाली जगह पे ही बैठ कहानी को पूरी करेगा ।

कुछ भी कह लो गुरु , और जगह से तो मस्त ही है ये जगह ~ अक्षत मन ही मन बुदबुदाया

अरे u know na , my sister-in-low quit her job yesterday ~ पास बैठी ऑन्टी ने अपनी ये बात जब अपने दोस्त से की तो , अक्षत के लिए मुश्किल हो गया ये पता लगाना की उनको इस बात का दुख था या ग़म

This is so sad yaar ~ पास बैठी उनकी दोस्त ने काफ़ी गभीरता से हामी भरी ।

पता नही दिल्ली वाले habitually अंग्रेजी बोलते है या टशन में ये बात आज तक समझ नहीं आयी ।

अक्षत अब तक अपनी कहानी भूल ऑन्टी के शरलॉक होम टाइप क़िस्सों में ग़ुम हो गया , तभी अचानक उनके पास बैठी दोस्त से जैस ही अक्षत की नजरें मिली , वो असहज हो उठा , जैसे उसकी कोई चोरी पकड़ी गई । मोहतरमा ने हल्की मुस्कान से साथ नज़रें हटा ली , और फिर वो तल्लीन हो चली अपने दोस्त के क़िस्सों में ।

इधर अक्षत अपनी कहानी के लिए जिस प्लॉट का इंतज़ार कर रहा था , वो खत्म हो चला । थोड़ी देर पहले हुए वाकिये से उसके ज़ेहन में कुछ कौंध गया था ।

‘ कहानी ‘

आप ऐसे क्यों देखते हैं हमें ~ पूजा ने अक्षत से नज़रें हटाते हुए बोला

नहीं बस ऐसे ही , काफी दिन बाद मिल रहा न ~ अक्षत , उसकी निगाहें अभी भी वहीं थी

कह तो ऐसा रहें हैं जैसे हम बिछड़ गए थे ~ पूजा

हम्ममम्म , तुझसे न मिल पाना बिछड़ना ही तो है ~ अक्षत

नहीं बिछड़ने वाले कभी मिलते कहाँ है ~ पूजा की आवाज़ में अबकी भारीपन था

हम्ममम्म बात तो सही कही पर , तू इतनी गंभीर क्यों है ~ अक्षत

क्यों मैं गंभीर नहीं हो सकती क्या ~ पूजा

लग तो नहीं रहा है ~ अक्षत ने तंजिया अंदाज में कहा

अच्छा , तो गंभीर होने के लिए गंभीर लगना ज़रुरी है ~ पूजा

मतलब हर बात में तर्क ज़रूरी है ~ अक्षत

अब आप ही तो कहते हो कि पढ़े लिखे इंसान को हर बात यूँ ही नहीं मान लेनी चाहिए ~ पूजा

हां पर , जहां सवाल अपनों का हो न वहां हर बात यूँ ही मान लेनी चाहिए ~ अक्षत

क्यों अपनों से तर्क नहीं हो सकता क्या ..? ~ इस दफ़े पूजा की नजरें सवाली थी

हम्ममम्म….. पता नहीं ~ अक्षत

पर हमने तो अपनों से अक्सर तर्क ही किया है ~ पूजा , इस दफ़े पूजा की निगाहें अक्षत पर थी ।

#yqbaba#yqdidi#yqtale# अनोखे ~ रिश्ते #

Follow my writings on https://www.yourquote.in/safar03raman #yourquote